
दोषी मानते हुए उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई थी.
ज़्यादातर लोग कैंपों में हैं. इसलिए ऐसा नहीं लगता कि यूक्रेन की जंग में रूस को सैनिकों की कमी होगी.”
चमार जाति का वास्तविक गौरवशाली इतिहास
सर्वप्रथम भाई हिम्मत सिंह जी को गुरूदेव जी ने आदेश दिया कि वह अपने साथियों सहित पाँच का जत्था लेकर रणक्षेत्र में जाकर शत्रु से जूझे। तभी मुग़ल जरनैल नाहर ख़ान ने सीढ़ी लगाकर गढ़ी पर चढ़ने का प्रयास किया किन्तु गुरूदेव जी ने उसको वहीं बाण से भेद कर चित्त कर दिया। एक और जरनैल ख्वाजा महमूद अली ने जब साथियों को मरते हुए देखा तो वह दीवार की ओट में भाग गया। गुरूदेव जी ने उसकी इस बुजदिली के कारण उसे अपनी रचना में मरदूद करके लिखा है।
में खालसा पंथ की सर्जना की। खालसा एक आदर्श, संपूर्ण व स्वतंत्र मनुष्य है। गुरबाणी में इसको सचियार, गुरमुख, ज्ञानी, ब्रह्म-ज्ञानी, गुरसिक्ख और संत-सिपाही कहा गया है।
ठंडे किले में कैद माता गुजरी ने दोनों साहिबजादों को बेहद प्यार से तैयार कर दुसरे दिन दोबारा से वजीर खान की कचहरी में भेजा। यहां फिर से वजीर खान ने उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए कहा लेकिन छोटे साहिबजादों ने मना कर दिया और उन्होंने फिर से जयकारे लगाने लगे। यह सुन वजीर खान गुस्से से तिलमिला उठा और दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवार में चिनवाने का हुक्म दिया। उसके बाद मुगल सैनिकों ने दोनों साहिबजादों जिंदा ही दोनों भाईयों को ईंट की दीवार चुन कर शहीद कर दिया। जैसे ही यह दुख भरी खबर माता गुजरी के पास पहुंची, उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए।
उनके मुताबिक रूस अब कोई भी ऐसा कदम उठा सकता है जिसका अंजाम यूक्रेन के लिए बहुत बुरा हो.
नागा 'योद्धा' संन्यासी जिसने भारत पर कब्ज़ा करने में की थी अंग्रेज़ों की मदद
कड़कड़ाती सर्दी के दिनों में माता गुजरी व साहिबजादों की शहादत इतिहास का सबसे बड़ा शहादत है।
ज़ेलेंस्की ने कहा, “क्रेमलिन का वो व्यक्ति ज़ाहिर है बहुत डरा हुआ है और संभवतः कहीं छुपा हुआ check here है.
साल भर से अधिक वक्त तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद आख़िरकार सरकार ने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा की.
शनिवार को रूस्तोव शहर पर वागनर समूह के लड़ाकों ने नियंत्रण कर लिया था.
कृषि कानून वापसी का दांव उल्टा पड़ गया
उन्होंने बाद मे कहा कि मार्च का मकसद विरोध था न कि तख्तापलट.